अ+ अ-
|
शिकवए-ग़म तेरे हुज़ूर किया
हमने बेशक बड़ा क़ुसूर किया
दर्दे-दिल को तेरी तमन्ना ने
ख़ूब सरमायाए-सरूर किया
नाज़े-ख़ूबाँ 1 ने आ़शिक़ों के सिवा
आ़रिफ़ों 2 को भी नासबूर 3 किया
यह भी इक छेड़ है कि क़ुदरत ने
तुमको ख़ुद-बीं 4 हमें ग़यूर 5 किया
नूरे-अर्ज़ो-समा 6 को नाज़ है यह
कि तेरी शक्ल में ज़हूर 7 किया
आपने क्या किया कि 'हसरत' से-
न मिले, हुस्न का ग़रूर किया.
-
सुन्दरियों के गर्व
-
ज्ञानियों
-
बेचैन
-
घमण्डी
-
आत्म-सम्मानपूर्ण
-
पृथ्वी और आकाश का प्रकाश
-
प्रकट होना
|
|